आरती कुंज बिहारी की - श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

Aarti Kunj Bihari Ki - Complete Guide with Lyrics & Meaning

18 नवंबर, 2025
12 मिनट पढ़ने का समय

आरती कुंज बिहारी की - परिचय

"आरती कुंज बिहारी की" भगवान श्री कृष्ण की सबसे लोकप्रिय और प्रिय आरतियों में से एक है। यह आरती वृन्दावन में कुंज बिहारी मंदिर में प्रतिदिन गाई जाती है और पूरे भारत में श्रद्धालुओं द्वारा भक्ति भाव से गाई जाती है। "कुंज बिहारी" नाम का अर्थ है "वह जो वृन्दावन के कुंजों (निकुंजों/बगीचों) में विहार करते हैं"। यह आरती भगवान कृष्ण के सौंदर्य, लीलाओं और दिव्य रूप का अद्भुत वर्णन करती है।

This beautiful aarti is one of the most cherished hymns dedicated to Lord Krishna, sung daily at the famous Kunj Bihari Temple in Vrindavan. "Kunj Bihari" means "the one who resides and plays in the groves (kunjas) of Vrindavan." This aarti beautifully describes Krishna's divine beauty, playful nature, and enchanting form that captivates devotees' hearts.

आरती कुंज बिहारी की - पूर्ण लिरिक्स

हिंदी में (In Hindi)

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

गले में बैजंती माला, बजावे मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला॥
आरती कुंज बिहारी की...

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक॥
आरती कुंज बिहारी की...

कनक के मुकुट पर राजत, कुंडल चमक रहे पुरबाजत।
कंठ में हार पहराजत, पीत अम्बर बनमाल॥
आरती कुंज बिहारी की...

नंद का यशोदा नंदन, लख दिनन कर प्रबंधन।
राधा किशोर अनुभावन, ब्रज में धूम मचावै॥
आरती कुंज बिहारी की...

प्रपुल्लित सुमन उपवन के, मुख चंद दिनेश रवि भान के।
सुखदाई रंगीलेजी के, हंस गति मनमोहन॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

English Transliteration

Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki॥

Gale mein baijanti mala, bajave murali madhur bala.
Shravan mein kundal jhalkala, Nanda ke ananda nandlala॥
Aarti Kunj Bihari ki...

Gagan sam anga kanti kali, Radhika chamak rahi ali.
Latan mein thadhe banmali, bhramar si alak, kasturi tilak॥
Aarti Kunj Bihari ki...

Kanak ke mukut par rajat, kundal chamak rahe purabajat.
Kanth mein haar pahrajat, peet ambar banmaal॥
Aarti Kunj Bihari ki...

Nanda ka Yashoda nandan, lakh dinan kar prabandhan.
Radha Kishor anubhavan, Braja mein dhoom machaave॥
Aarti Kunj Bihari ki...

Prapullita suman upavan ke, mukh chand dinesh ravi bhan ke.
Sukhdai rangileji ke, hans gati manmohan॥
Aarti Kunj Bihari ki, Shri Giridhar Krishna Murari ki॥

आरती का विस्तृत अर्थ (Detailed Meaning)

पहली पंक्ति (First Verse)

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

यह आरती उस कुंज बिहारी (वृन्दावन के कुंजों में विहार करने वाले) श्री कृष्ण की है, जो गिरिधर (गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले) और मुरारी (मुर दैत्य का वध करने वाले) हैं। यह पंक्ति भगवान कृष्ण के तीन महत्वपूर्ण स्वरूपों का वर्णन करती है।

दूसरी पंक्ति (Second Verse)

गले में बैजंती माला, बजावे मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला॥

भगवान कृष्ण के गले में वैजयंती माला (पांच रंगों के फूलों की माला) शोभायमान है। वे अपनी मधुर बांसुरी बजाते हैं। उनके कानों में कुंडल (कर्णफूल) चमक रहे हैं। वे नंद बाबा के आनंद, प्रिय पुत्र नंदलाल हैं।

तीसरी पंक्ति (Third Verse)

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक॥

उनका शरीर नीले आकाश की तरह श्याम वर्ण का है। उनकी सखी राधिका उनके पास चमक रही हैं। बनमाली (वन की माला पहनने वाले) लताओं में खड़े हैं। उनकी अलकें (बाल) भौंरे की तरह घुंघराली हैं और माथे पर कस्तूरी का तिलक है।

चौथी पंक्ति (Fourth Verse)

कनक के मुकुट पर राजत, कुंडल चमक रहे पुरबाजत।
कंठ में हार पहराजत, पीत अम्बर बनमाल॥

सोने के मुकुट पर मोर पंख शोभा दे रहा है। कुंडल पूरे जोश से चमक रहे हैं। गले में हार सुशोभित है और पीले वस्त्र तथा वनमाला धारण किए हुए हैं।

पांचवीं पंक्ति (Fifth Verse)

नंद का यशोदा नंदन, लख दिनन कर प्रबंधन।
राधा किशोर अनुभावन, ब्रज में धूम मचावै॥

वे नंद और यशोदा के प्रिय पुत्र हैं। लाखों दिनों से वे अपनी लीलाओं का प्रबंधन कर रहे हैं। राधा के प्रिय किशोर कृष्ण, ब्रज में अपनी लीलाओं से धूम मचा रहे हैं।

छठी पंक्ति (Sixth Verse)

प्रपुल्लित सुमन उपवन के, मुख चंद दिनेश रवि भान के।
सुखदाई रंगीलेजी के, हंस गति मनमोहन॥

वन के खिले हुए फूलों के बीच, उनका मुख चंद्रमा और सूर्य के समान चमकता है। सुख देने वाले रंगीले श्री कृष्ण, हंस की चाल से चलते हुए मन को मोह लेते हैं।

आरती का महत्व (Significance)

  • भक्ति का प्रतीक: यह आरती भगवान कृष्ण के प्रति अगाध भक्ति और प्रेम का प्रतीक है।
  • मन की शांति: इस आरती का नियमित पाठ मन को शांति और आनंद प्रदान करता है।
  • आध्यात्मिक विकास: यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करती है।
  • कृष्ण से जुड़ाव: इसे गाने से भक्त भगवान कृष्ण से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं।
  • मंदिरों में प्रचलित: यह आरती लगभग सभी कृष्ण मंदिरों में विशेषकर वृन्दावन में प्रतिदिन गाई जाती है।

आरती गाने के लाभ (Benefits)

धार्मिक लाभ

  • • भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है
  • • भक्ति भाव में वृद्धि होती है
  • • आध्यात्मिक उन्नति होती है
  • • पापों का नाश होता है

मानसिक लाभ

  • • मन को शांति मिलती है
  • • तनाव और चिंता दूर होती है
  • • सकारात्मक ऊर्जा मिलती है
  • • मन एकाग्र होता है

पारिवारिक लाभ

  • • घर में सुख-शांति बनी रहती है
  • • परिवार में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है
  • • बच्चों में संस्कार विकसित होते हैं
  • • घर में सकारात्मक वातावरण बनता है

सामाजिक लाभ

  • • सामूहिक आरती से एकता बढ़ती है
  • • सांस्कृतिक परंपरा का संरक्षण
  • • धार्मिक समागम का अवसर
  • • आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता है

आरती कब गाएं (When to Sing)

🕉️प्रातःकालीन आरती: सुबह मंगला आरती के समय (लगभग 4:30-5:00 बजे)

🕉️संध्या आरती: शाम को सूर्यास्त के समय (लगभग 6:00-7:00 बजे)

🕉️जन्माष्टमी: भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर विशेष रूप से

🕉️एकादशी: हर एकादशी के दिन

🕉️नियमित पूजा: दैनिक पूजा के समय भी गा सकते हैं

आरती कैसे गाएं (How to Sing Properly)

  1. 1
    स्नान और स्वच्छता: पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. 2
    पूजा स्थल: भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
  3. 3
    दीपक जलाएं: घी या तेल का दीपक जलाएं।
  4. 4
    धूप-अगरबत्ती: धूप या अगरबत्ती जलाएं।
  5. 5
    आरती की थाली: आरती की थाली में दीपक, फूल, चंदन रखें।
  6. 6
    भक्ति भाव: पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से आरती गाएं।
  7. 7
    घंटी/घड़ियाल: आरती के समय घंटी या शंख बजाएं।
  8. 8
    प्रसाद: आरती के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।

ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context)

यह आरती वृन्दावन के प्रसिद्ध कुंज बिहारी मंदिर से जुड़ी है, जो लगभग 400 साल से भी अधिक पुराना है। मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास जी के शिष्य स्वामी सहजानंद गोस्वामी ने की थी। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण स्वयं इस मंदिर में विराजमान हैं और उन्हें "ठाकुर जी" के नाम से संबोधित किया जाता है।

This aarti is intimately connected to the famous Kunj Bihari Temple in Vrindavan, which is over 400 years old. The temple was established by Swami Sahajanand Goswami, a disciple of Swami Haridas. It is believed that Lord Krishna himself resides in this temple and is affectionately referred to as "Thakur Ji."

कुंज बिहारी मंदिर में इस आरती का गायन प्रतिदिन बड़ी भक्ति और परंपरागत विधि से किया जाता है। हजारों श्रद्धालु इस आरती में भाग लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह आरती वृन्दावन की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का अभिन्न अंग बन गई है।

निष्कर्ष (Conclusion)

"आरती कुंज बिहारी की" केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति की अभिव्यक्ति है। इस आरती में भगवान कृष्ण के दिव्य रूप, सौंदर्य, और लीलाओं का सुंदर वर्णन है जो भक्तों के हृदय को आनंदित करता है।

यह आरती न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें जीवन में भक्ति, प्रेम, और सकारात्मकता का संदेश भी देती है। नियमित रूप से इस आरती का गायन करने से मन की शांति, आध्यात्मिक विकास, और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

राधे राधे! जय श्री कृष्ण! 🙏

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