राम स्तुति - श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन
Ram Stuti by Goswami Tulsidas - Complete Guide
राम स्तुति - परिचय
राम स्तुति गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित भगवान श्री राम की महिमा का एक अद्भुत स्तोत्र है। "श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन" से शुरू होने वाली यह स्तुति रामचरितमानस के अयोध्याकांड से ली गई है। यह स्तुति भगवान राम के दिव्य सौंदर्य, गुणों और उनकी कृपालुता का बेजोड़ वर्णन करती है।
This beautiful hymn (stuti) is composed by Goswami Tulsidas in praise of Lord Rama. Beginning with "Shri Ramachandra Kripalu Bhaju Man," this stuti is taken from the Ayodhya Kand of Ramcharitmanas. It magnificently describes Lord Rama's divine beauty, virtues, and compassionate nature.
इस स्तुति में तुलसीदास जी ने भगवान राम को दीनबंधु (दीनों के बंधु), गिरिधर (गोवर्धन धारण करने वाले), और रघुनंदन (रघुकुल के आनंद) जैसे विभिन्न नामों से संबोधित किया है। यह स्तुति भक्तों के मन में राम भक्ति की अद्भुत भावना जगाती है।
राम स्तुति - पूर्ण पाठ
संस्कृत-हिंदी में (Sanskrit-Hindi)
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुख कर कञ्ज पद कञ्जारुणम्॥
कन्दर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनम्॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अंग विभूषणम्।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर दूषणम्॥
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रञ्जनम्।
मम हृदय कुञ्ज निवास कुरु कामादि खल दल गञ्जनम्॥
English Transliteration
Shri Ramachandra kripalu bhaju man haran bhavabhay darunam.
Navakanja lochana kanja mukha kar kanja pad kanjarunam॥
Kandarpa aganita amita chhabi nava neela neerada sundaram.
Pata peeta manahu tadita ruchi shuchi naumi janaka sutavaram॥
Bhaju deenabandhu dinesha danava daitya vansha nikandanam.
Raghunanda ananda kanda koshala chanda dasharatha nandanam॥
Sira mukuta kundala tilaka charu udara anga vibhushanam.
Ajanu bhuja shara chapa dhara sangrama jita khara dushanam॥
Iti vadati Tulsidas shankara shesha muni mana ranjanam.
Mama hridaya kunja nivasa kuru kamadi khala dala ganjanam॥
श्लोकार्थ - विस्तृत अर्थ
प्रथम श्लोक (First Verse)
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुख कर कञ्ज पद कञ्जारुणम्॥
हिंदी अर्थ: हे मन! कृपालु श्री रामचन्द्र जी का भजन कर, जो भयंकर जन्म-मृत्यु के भय को हरने वाले हैं। जिनके नेत्र नए कमल के समान हैं, मुख कमल के समान है, हाथ कमल के समान हैं और चरण लाल कमल के समान हैं।
English Meaning: O mind! Worship the merciful Lord Ramachandra, who removes the terrible fear of birth and death. His eyes are like fresh lotuses, his face is like a lotus, his hands are lotus-like, and his feet resemble reddish lotuses.
द्वितीय श्लोक (Second Verse)
कन्दर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥
हिंदी अर्थ: जिनका सौंदर्य कामदेव से भी अगणित गुना अधिक और असीम है। जो नए नीले मेघ के समान सुंदर हैं। जिनके पीले वस्त्र मानो बिजली की शोभा के समान पवित्र हैं। मैं जनक की पुत्री (सीता) के वर को नमस्कार करता हूं।
English Meaning: Whose beauty is countless times more than Kamadeva (god of love) and infinite. Who is as beautiful as a fresh blue cloud. Whose yellow garments shine pure like lightning. I bow to the beloved husband of Janaka's daughter (Sita).
तृतीय श्लोक (Third Verse)
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनम्॥
हिंदी अर्थ: हे मन! दीनबंधु (दीनों के बंधु), दिनेश (सूर्य के समान तेजस्वी), दानव और दैत्य कुल के विनाशक का भजन कर। जो रघुकुल के आनंद, आनंद के मूल, कोशल के चंद्रमा और दशरथ के पुत्र हैं।
English Meaning: O mind! Worship the friend of the meek (Deenabandhu), radiant as the sun (Dinesha), destroyer of demon clans. Who is the joy of Raghu dynasty (Raghunanda), the root of bliss (Ananda Kanda), the moon of Kosala kingdom, and the son of Dasharatha.
चतुर्थ श्लोक (Fourth Verse)
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अंग विभूषणम्।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर दूषणम्॥
हिंदी अर्थ: जिनके सिर पर मुकुट, कानों में कुंडल, माथे पर सुंदर तिलक और अंगों पर उदार आभूषण शोभायमान हैं। जिनकी भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं, जो हाथ में बाण और धनुष धारण करते हैं, और जिन्होंने युद्ध में खर और दूषण को पराजित किया।
English Meaning: Who wears a crown on his head, earrings (kundal) in ears, beautiful tilak on forehead, and generous ornaments on his body. Whose arms extend to the knees (Ajanubahu), who holds arrows and bow in hands, and who defeated Khara and Dushana in battle.
पंचम श्लोक (Fifth Verse)
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रञ्जनम्।
मम हृदय कुञ्ज निवास कुरु कामादि खल दल गञ्जनम्॥
हिंदी अर्थ: तुलसीदास कहते हैं - जो शंकर (शिव), शेषनाग और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले हैं। हे प्रभु! मेरे हृदय रूपी कुंज (निकुंज/वन) में निवास करें और काम आदि दुष्ट दल का नाश करें।
English Meaning: Tulsidas says - who delights the minds of Shankara (Shiva), Shesha (serpent deity), and sages. O Lord! Please reside in the grove of my heart and destroy the evil forces like desire (kama) and others.
राम स्तुति का महत्व (Significance)
राम स्तुति पाठ के लाभ (Benefits)
🙏 आध्यात्मिक लाभ
- • भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है
- • भक्ति भाव में वृद्धि होती है
- • आत्मा की शुद्धि होती है
- • मोक्ष प्राप्ति का मार्ग सरल होता है
- • भव-भय (जन्म-मृत्यु का भय) दूर होता है
🧘 मानसिक लाभ
- • मन को शांति और स्थिरता मिलती है
- • काम, क्रोध, लोभ आदि विकार नष्ट होते हैं
- • एकाग्रता में वृद्धि होती है
- • सकारात्मक विचार आते हैं
- • तनाव और चिंता दूर होती है
💪 शारीरिक लाभ
- • नियमित पाठ से स्वास्थ्य सुधरता है
- • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
- • रक्तचाप नियंत्रित रहता है
- • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
- • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है
🏡 सामाजिक लाभ
- • परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
- • रिश्तों में मधुरता आती है
- • सत्संग में रुचि बढ़ती है
- • चरित्र में सुधार होता है
- • समाज में सम्मान मिलता है
राम स्तुति का पाठ कब और कैसे करें
📅 पाठ का उचित समय (Best Time)
• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4-6 बजे का समय सर्वोत्तम है
• प्रातःकाल: सूर्योदय के समय
• संध्याकाल: शाम को सूर्यास्त के समय
• राम नवमी: भगवान राम के जन्मदिन पर विशेष रूप से
• एकादशी: प्रत्येक एकादशी के दिन
• मंगलवार: हनुमान जी के दिन राम स्तुति का पाठ शुभ है
📖 पाठ की विधि (Method of Recitation)
- 1स्नान और शुद्धि: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- 2पूजा स्थल: भगवान राम की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें।
- 3दीप प्रज्वलन: घी या तेल का दीपक जलाएं।
- 4धूप-अगरबत्ती: धूप या अगरबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
- 5आसन: शुद्ध आसन पर बैठें (कुश या ऊनी आसन उत्तम है)।
- 6प्रार्थना: पहले गणेश जी और गुरु की प्रार्थना करें।
- 7ध्यान: भगवान राम के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें।
- 8पाठ: शुद्ध उच्चारण के साथ राम स्तुति का पाठ करें।
- 9संख्या: कम से कम 3, 7, 11 या 108 बार पाठ करें।
- 10समापन: आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
🔔 महत्वपूर्ण बातें (Important Notes)
⚠️शुद्ध उच्चारण: संस्कृत के शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें। गलत उच्चारण से अर्थ बदल सकता है।
⚠️भावना: केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि भाव के साथ पाठ करें।
⚠️नियमितता: प्रतिदिन एक निश्चित समय पर पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
⚠️मन की एकाग्रता: पाठ के समय मन को एकाग्र रखें और अन्य विचारों से मुक्त रहें।
⚠️स्थान की पवित्रता: पाठ का स्थान साफ और पवित्र हो।
गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में
गोस्वामी तुलसीदास जी (1532-1623) हिंदी साहित्य के महानतम कवियों में से एक हैं। उन्होंने रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली जैसे अनेक महान ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाएं भक्ति, नैतिकता और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम हैं।
Goswami Tulsidas (1532-1623) was one of the greatest poets in Hindi literature. He composed monumental works like Ramcharitmanas, Vinaya Patrika, Kavitavali, and Gitavali. His compositions are a wonderful confluence of devotion, morality, and spirituality.
तुलसीदास जी ने भगवान राम को अपना इष्टदेव माना और उनकी भक्ति में अनेक अमर रचनाएं लिखीं। उनकी रचनाएं आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
राम स्तुति गोस्वामी तुलसीदास जी की एक अद्वितीय रचना है जो भगवान राम के दिव्य सौंदर्य, गुणों और महिमा का अद्भुत वर्णन करती है। यह स्तुति न केवल साहित्यिक दृष्टि से उत्कृष्ट है, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस स्तुति का नियमित पाठ करने से भक्तों को भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है, मन शांत होता है, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। यह स्तुति हमें याद दिलाती है कि भगवान राम दीनबंधु हैं - वे दीनों के सच्चे मित्र हैं जो हर भक्त की रक्षा करते हैं।
जय सिया राम! जय श्री राम! 🙏