भवन में थारी सेवा करूंगा म्हारी अबला ।
मारग से म्हारा लारे चालजो री म्हारी दुर्गा ॥
तो हूँ बैजानू… सारत माय सूरत कर ।
पण सवरू रे घर वो सो ज्ञाने बताए ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… हरिया सा गोबर कुंता घोली ।
दीज्यो री अबला मोतीराणा चाक पुराय ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… बनाजो री अबला थारो देवळ ।
लगाजो री अबला चीर लगाजो संगमनेर का ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… हिंगलो सो ढोळ्यो थारो देवळ ।
ढूळायो री अबला सोनारा कळश लगाये ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… न्हाब तो बैठी रे म्हारी अबला ।
मांगजो री अबला जल मांगजो कासी न का ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… शालू ओढाज्यो री संगमनेर का ।
पहना दूं री अबला हार पहना दूं फूलां न का ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू…. रखवाल्या लांगुड थारा लार ।
लीज्यो री अबला हणवट जोद्यो थारा लार ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू…. बावन भैरु रे चौसठ जोगन ।
लीज्यो री अबला नहीं चलशेल रे जादू टोना ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… आग्या तो बीर मामद्या बीर न ।
लीज्यो री अबला होर जोद्या आगे चलता ॥
भवन में थारी सेवा….
तो हूँ बैजानू… सवार सवरया रे रूपसिंग शामसिंग ।
परदेसी गावे शरम राखज्यो म्हारी अबला ॥
भवन में थारी सेवा….
भवन में थारी सेवा करूंगा म्हारी अबला by Ak | Sacred das | Bhajan Aarti