करतारे पांडु होम आग्यारी सेवा करता ।
करतारे हिवड़ा होम आग्यारी अर्जुन करता ॥
ये है रे होम आग्यारी सेवा करता, अच्छा होम रचाय ।
रचाया हे…sss ॥
नारे सारत माय सूरत कर, सावळ भरनी रे सुन्दर हे माँ ।
घर वो सो ज्ञान वो बताये ॥
करतारे पांडु…
ये है रे होम…
नारे हरिया गोबर घोली देता, गज मोत्यारो चावक पुराता, सावळ भरनी रे सुन्दर हे माँ ।
पंडित तो चाल्या रे पोथी बाँचता ॥
करतारे पांडु…
ये है रे होम…
नारे दादर बन का मोर पपिया, सावळ भरनी रे सुन्दर हे माँ ।
कोयल तो होमी रे हरिया बाग में ॥
करतारे पांडु…
ये है रे होम…
नारे गुग्गल गरद भवन में, सावळ भरनी रे सुन्दर हे माँ ।
हाथी तो होम्या रे काजली बन का ॥
करतारे पांडु…
ये है रे होम…
नारे पाँच पुत्र कुंता घर होता, हस्तिनापुर को राज लेता, गढ़ लंका से सोनो लाता, सावळ भरनी रे सुन्दर हे माँ ।
छत्र चढ़ाया रे सर सर मान का ॥
करतारे पांडु…
करतारे पांडु होम आग्यारी सेवा करता by Ak | Sacred das | Bhajan Aarti