दशक (Das)
काहे का थारा धान पकावत ।
काहे री का बल भजे री माँ ॥
अगर चंदन का धान पकावत ।
बावन का बल भजे री माँ ॥
काहे री थारी गोवली री माँ, काहे चाक पुराय ।
कोई हरिया गोबर गोवली री माँ, मोतिराना चाक पुराय ॥
या नंदी थारो आरत्यो री भोली माँ ।
म्हारी सदन निवासन आरत्यो री भोली माँ ॥
काहे रो थारो दिवलो री माँ, काहे दिवला बात ।
कोई अगर चंदन को दिवलो री माँ, नंदन बन की मोटी बात ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोन न दिवलो घीव भरयो री माँ, कोन न जोई बात ।
कोई अर्जुन दिवलो घीव भरयो री माँ, कुंता माता न जोई बात ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोरी किलिया दही जमाऊँ माँ, नीत उठ धोऊँ गाय ।
कोई चावल रांध्या पाल घना री माँ, ऊपर देऊँ घीव को दोह ॥
या नवत जिमाऊँ म्हारा कंवर लंगुड़यो, आयो छे द्वारका को राव ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई शहर तमोलन मोकली रे माँ, पान को बिड़लो लाय ।
कोई चाबे म्हारा लाल लंगुड़िया, कहे उलट घर जाय ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई शहर कलालन मोकली रे माँ, मन भर घाघर लाय ।
कोई पीवे म्हारा बावन भैरु, कहे उलट घर जाय ॥
जा नंदी थारो आरत्यो...
कोई शहर मलैया मोकली रे माँ, फूल माल गुंफल्या ।
कोई भोगे म्हारी आद भवानी, हाथ लाग्या कुम्हलाय ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई गंगा बसता गोवली रे माँ, मथुरा बसे राहे ।
कोई कान्हो बजावे बांसुरी, ऊभो ठाठ जमुना के तीर ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई भगत न को जो देवी कसे, उको सोनो कसे सुनार ।
कोई थारी कसनी जो कसे, उको आन धान देवूँगी भंडार ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई आन म धवली जोंधली रे माँ, धन मा धवली गाय ।
कोई भगत ना मा धनो बड़ो उन लायो सारो पंथ दुकाय ॥
या नंदी थारो आरत्यो...
कोई ऊद्या भगत को आरत्यो,
कोई कन्या भगत को आरत्यो,
(सब भगत का नाम)
कोई आया गया को आरत्यो,
कोई गाँव खेड़ा को आरत्यो,
कोई चुकया भूल्या को आरत्यो,
अब तो लीजो री अबला म्हारी लियो बाहें पसार ॥
या नंदी थारो आरत्यो...