छठ पूजा भारत का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है और सूर्य देव तथा छठी मैया की आराधना के लिए जाना जाता है।
Chhath Puja is an ancient and significant Hindu festival celebrated primarily in Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh, and Nepal. Dedicated to the Sun God (Surya Dev) and Chhathi Maiya, this four-day festival is observed on the sixth day of Kartik month with great devotion and purity.
छठ पूजा का महत्व - Significance of Chhath Puja
आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व:
- •सूर्य ऊर्जा का महत्व: सूर्य देव से प्राणशक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति
- •शुद्धता का पर्व: बिना पंडित के सीधे सूर्य की आराधना
- •समानता का संदेश: सभी वर्गों के लोग समान भाव से पूजा करते हैं
- •पर्यावरण संरक्षण: नदियों और जल स्रोतों की सफाई
- •स्वास्थ्य लाभ: सूर्य की किरणों से विटामिन D और ऊर्जा मिलती है
- •मनोकामना पूर्ति: संतान सुख और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए
चार दिन की पूजा विधि - Four Days of Chhath Puja
📅 पहला दिन: नहाय-खाय (Nahay Khay)
तिथि: कार्तिक शुक्ल चतुर्थी
विधि:
- 1. स्नान: पवित्र नदी या घर पर स्नान करें
- 2. घर की सफाई: पूरे घर को साफ-सुथरा करें
- 3. शुद्ध भोजन: सात्विक भोजन बनाएं (लौकी-चना दाल, चावल)
- 4. एक बार भोजन: केवल एक बार सादा भोजन ग्रहण करें
- 5. तामसिक भोजन वर्जित: प्याज, लहसुन नहीं खाएं
विशेष भोजन:
लौकी की सब्जी, चना दाल, चावल और घी
📅 दूसरा दिन: खरना (Kharna)
तिथि: कार्तिक शुक्ल पंचमी
विधि:
- 1. निर्जला व्रत: पूरे दिन बिना जल का उपवास
- 2. संध्या पूजा: शाम को गुड़ की खीर और रोटी बनाएं
- 3. प्रसाद तैयारी: खीर, रोटी, और फल
- 4. पूजा अर्चना: सूर्य देव की पूजा करें
- 5. व्रत खोलना: खीर और रोटी का प्रसाद लें
- 6. प्रसाद वितरण: परिवार और पड़ोसियों को प्रसाद दें
खरना का प्रसाद:
- • गुड़ की खीर (चावल, गुड़, दूध)
- • घी लगी रोटी
- • केला और अन्य फल
📅 तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)
तिथि: कार्तिक शुक्ल षष्ठी (मुख्य दिन)
विधि:
- 1. प्रातः तैयारी: सूप (बांस की टोकरी) में प्रसाद सजाएं
- 2. फल और ठेकुआ: ठेकुआ, फल, नारियल तैयार करें
- 3. नदी/घाट जाना: दोपहर बाद नदी/तालाब पर जाएं
- 4. घाट सजाना: दीपक, फूल और प्रसाद व्यवस्थित करें
- 5. डूबते सूर्य को अर्घ्य: शाम को सूर्यास्त के समय
- 6. छठी मैया की पूजा: मंत्रोच्चार और आरती
- 7. रात्रि जागरण: रात भर गीत गाएं और जागरण करें
संध्या अर्घ्य का समय:
सूर्यास्त के समय (शाम 5:30 - 6:00 PM लगभग)
(समय स्थान के अनुसार बदल सकता है)
📅 चौथा दिन: उषा अर्घ्य (Usha Arghya)
तिथि: कार्तिक शुक्ल सप्तमी
विधि:
- 1. प्रातःकाल तैयारी: सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचें
- 2. दीपक जलाना: घी के दीपक जलाएं
- 3. उगते सूर्य को अर्घ्य: सूर्योदय के समय जल अर्पित करें
- 4. छठी मैया की आराधना: पूजा और मंत्र जाप
- 5. प्रसाद वितरण: सबको प्रसाद बांटें
- 6. पारण (व्रत खोलना): प्रसाद लेकर व्रत तोड़ें
- 7. आशीर्वाद: बड़ों का आशीर्वाद लें
उषा अर्घ्य का समय:
सूर्योदय के समय (सुबह 6:00 - 6:30 AM लगभग)
(समय स्थान के अनुसार बदल सकता है)
पूजा सामग्री - Puja Items Required
प्रसाद सामग्री:
- • ठेकुआ: गेहूं के आटे और गुड़ से बना पकवान
- • फल: केला, नारियल, सेब, संतरा
- • गन्ना: जोड़े में (अधिक पत्तियों वाला)
- • अदरक: ताजा अदरक
- • हल्दी: कच्ची हल्दी की गांठें
- • चावल का लड्डू: घर का बना
- • खीर: गुड़ की खीर (खरना के लिए)
पूजा सामग्री:
- • सूप (दउरा): बांस की टोकरी
- • दीपक: मिट्टी के दीए और घी
- • अगरबत्ती और धूप: पूजा के लिए
- • लाल कपड़ा: सूप को ढकने के लिए
- • नारियल और सुपारी: पूजा में उपयोग
- • पानी का लोटा: अर्घ्य देने के लिए
- • फूल और माला: सजावट के लिए
छठ व्रत के नियम - Rules and Guidelines
✓ क्या करें:
- • पूर्ण शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें
- • नए कपड़े पहनें (धोए हुए)
- • जमीन पर सोएं (चारों दिन)
- • नंगे पैर घाट जाएं
- • सात्विक भोजन ही खाएं
- • प्रसाद खुद बनाएं
- • नदी/तालाब का जल साफ रखें
- • मन में सकारात्मक भाव रखें
✗ क्या न करें:
- • प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें
- • नमक नहीं खाना चाहिए
- • सिले हुए कपड़े न पहनें
- • बिस्तर पर न सोएं
- • क्रोध या कलह न करें
- • अशुद्ध भोजन न खाएं
- • व्रत के बीच में न छोड़ें
- • किसी को बुरा-भला न कहें
छठ मंत्र और गीत - Chhath Mantras and Songs
सूर्य मंत्र:
"ॐ घृणि: सूर्याय नम:"
"ॐ आदित्याय नम:"
छठी मैया आरती:
जय हो छठी मैया, जय हो छठी मैया।
तोहार महिमा अपार, सुख संपदा दीहें हमार॥
लोकप्रिय छठ गीत:
केलवा जे फरेला घवद से
ओह मे लागल दूलरवा ए छठी मइया
उगे ना रबि देव लागल बरवा ए छठी मइया॥
वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ - Scientific Benefits
- 1.विटामिन D: सूर्य की किरणों से प्राकृतिक विटामिन D मिलता है
- 2.शारीरिक शुद्धि: उपवास से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं
- 3.मानसिक शांति: ध्यान और पूजा से मन शांत होता है
- 4.रोग प्रतिरोधक क्षमता: सूर्य ऊर्जा से शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ती है
- 5.जल चिकित्सा: नदी में खड़े रहने से पैरों की सिकाई होती है
- 6.सामुदायिक सद्भाव: सामूहिक पूजा से सामाजिक एकता बढ़ती है
पर्यावरण अनुकूल छठ पूजा - Eco-Friendly Chhath
- 🌿प्लास्टिक मुक्त: बांस, पत्तों और मिट्टी के बर्तन उपयोग करें
- 🌿नदी स्वच्छता: पूजा के बाद सभी सामग्री एकत्र करें
- 🌿प्राकृतिक सामग्री: कृत्रिम फूल और रंग न इस्तेमाल करें
- 🌿जल संरक्षण: जल को प्रदूषित न करें
निष्कर्ष - Conclusion
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, पारिवारिक एकता और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे शुद्धता, सादगी और समर्पण के साथ जीवन जीया जाए।
सूर्य देव और छठी मैया की कृपा से सभी व्रतियों के जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख का आगमन हो। जय छठी मैया! जय सूर्य देव! 🙏☀️